रेटीना डिस्प्ले क्या है?

Ankur Gupta
Ankur Guptahttps://antarjaal.in
पेशे से वेब डेवेलपर, पिछले १० से अधिक वर्षों का वेबसाइटें और वेब एप्लिकेशनों के निर्माण का अनुभव। वर्तमान में ईपेपर सीएमएस क्लाउड (सॉफ्टवेयर एज सर्विस आधारित उत्पाद) का विकास और संचालन कर रहे हैं। कम्प्यूटर और तकनीक के विषय में खास रुचि। लम्बे समय तक ब्लॉगर प्लेटफॉर्म पर लिखते रहे. फिर अपना खुद का पोर्टल आरम्भ किया जो की अन्तर्जाल डॉट इन के रूप में आपके सामने है.

आम तौर पर किसी भी स्क्रीन में दिखने वाले चित्र की गुणवत्ता को हम पिक्सलों के घनत्व के आधार पर मानते हैं।  इसकी इकाई पीपीआई(पिक्सेल प्रति इंच) या पीपीसी(पिक्सेल प्रति सेंटीमीटर) है। प्रति वर्ग सेंटीमीटर में जितने अधिक पिक्सेल होंगे चित्र उतना ही अधिक बारीक नजर आएगा। उदाहरण के लिए यदि ५ इंच की स्क्रीन का रेजोल्यूशन १२८० x ७२० हो तो वह एकदम बढ़िया लगेगा, किन्तु यदि इसी रेजोल्यूशन में तस्वीर को किसी सिनेमा हाल में दिखाया जाए तो एकदम खराब लगेगी।

लेकिन दिक्कत यह है कि आखिर पिक्सेलों का घनत्व कितना बढ़ाया जाए? क्योंकि घनत्व बढ़ाने में अतिरिक्त खर्च तो आता ही है साथ ही उसमें चित्र दिखाने के लिए कम्प्यूटर को भी अधिक श्रम करना पड़ता है। इसलिए एप्पल नें एक नया मानक बनाया है, इस मानक के अनुसार स्क्रीन के पिक्सेलों का घनत्व इतना बढ़ाया जाता है कि देखने की सामान्य दूरी से मनुष्य की आंखें उन पिक्सेलों को अलग अलग नही देख पाती हैं। स्टीव जॉब्स के अनुसार यदि आप किसी डिस्प्ले को १० से १२ इंच की दूरी पर रखते हैं तो यह ३०० पीपीआई के आसपास बैठता है। वैसे काफी दूरी पर रखने पर लगभग हर डिस्प्ले, रेटीना बन जाता है।

आपका डिस्प्ले कितनी दूरी पर रेटीना बनेगा इसकी गणना करने के लिए बकायदा एक वेबसाइट भी है: देखें: http://isthisretina.com/

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