http का पूरा नाम हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल है। इस प्रोटोकॉल की का उपयोग सर्वर और क्लाइंट के मध्य सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए होता है। जब आप किसी वेबसाइट को अपने ब्राउजर पर खोलते हैं तो उसके सामने http:// लिखा हुआ पाते हैं। आरंभ में http में केवल GET तरीके से ही सूचनाएं भेजी और प्राप्त की जा सकती हैं। बाद में POST तरीका आया। GET तरीके में कोई भी डेटा यूआरएल में भरकर भेजा जाता है।
जैसे: http://example.com/show.php?id=987
जबकि POST तरीके में डेटा बिना य़ूआरएल से चिपकाए ही भेजा जा सकता है।
अब बात करते हैं https की। https में एक शब्द s भी जुड़ा हुआ है। इस एस का मतलब है सिक्योर सॉकेट लेयर। यह प्रोटोकॉल http और ssl/tls का मिला जुला संस्करण है। जब कोई वेब ब्राउजर इस प्रोटोकॉल के तहत किसी सूचना को मांगता है तो सर्वर और क्लाइंट के मध्य होने वाला सूचनाओं का आदान प्रदान पूरी तरह एनक्रिप्टेड अर्थात कूट रूप में होता है। अर्थात कोई भी बीच में उस डेटा को देखकर पढ़ नही सकता है। इसीलिए इसका प्रयोग बैंकिंग, कार्पोरेट लॉग इन, ईकामर्स आदि में होता है।
http और https दोनो में अंतर
- http में यूआरएल http:// से शुरू होता है जबकि https में https:// से
- http सुरक्षित नही है जबकि https सुरक्षित है
- सामान्य अवस्था में http पोर्ट ८० का इस्तेमाल करता है जबकि https पोर्ट ४४३ का
- http के लिए किसी प्रमाणपत्र की आवश्यकता नही होती जबकि https के लिए एसएसएल डिजिटल प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है
- http में एनक्रिप्शन नही होता जबकि https में होता है।
Jg
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