क्षेत्रीय समय (टाइम जोन)

Ankur Gupta
Ankur Guptahttps://antarjaal.in
पेशे से वेब डेवेलपर, पिछले १० से अधिक वर्षों का वेबसाइटें और वेब एप्लिकेशनों के निर्माण का अनुभव। वर्तमान में ईपेपर सीएमएस क्लाउड (सॉफ्टवेयर एज सर्विस आधारित उत्पाद) का विकास और संचालन कर रहे हैं। कम्प्यूटर और तकनीक के विषय में खास रुचि। लम्बे समय तक ब्लॉगर प्लेटफॉर्म पर लिखते रहे. फिर अपना खुद का पोर्टल आरम्भ किया जो की अन्तर्जाल डॉट इन के रूप में आपके सामने है.

ऊपर वाले चित्र को ध्यान से देखिए। इस चित्र में आप देख सकते हैं कि किसी भी समय में सूर्य पृथ्वी के एक ही हिस्से में रह सकता है। इससे “क” तथा “ग” वाली स्थिति में सूर्य की तिरछी किरणें पड़ेंगी। किन्तु “ख” वाली स्थिति में उसकी सीधी किरणें पड़ेंगी। इसी प्रकार जब किसी स्थान में दोपहर का समय होगा तो किसी स्थान में शाम का और किसी में रात का समय भी हो सकता है। ऐसे में यदि पूरी दुनिया के लिए एक ही समय तंत्र लागू कर दिया जाएगा तो किसी के यहां २ बजे रात होगी तो किसी के यहां २ बजे सुबह तो किसी के यहां शाम। इस समस्या को हल करने के लिए समय कटिबंधों के आधार पर क्षेत्रीय समय को बनाया गया।

इस व्यवस्था में हम पृथ्वी को देशांश रेखाओं के आधार पर प्रत्येक १५ अंश के अंतर पर २४ बराबर बराबर हिस्सों में बांट देते हैं। और इसकी शुरुआत (० अंश) से होती है। यह ० अंश वाली रेखा इंग्लैंड के ग्रीनविच नामक स्थान से गुजरती है। और यहीं से समय की गणना आरंभ होती है। यही कारण है कि इस व्यवस्था को ग्रीनविच मीन टाइम या जीएमटी भी कहा जाता है। इस रेखा की दाहिनी ओर जितने देश होते हैं वहां का समय ग्रीनविच रेखा के समय से अधिक या आगे होता है और जो देश इसकी बांई ओर होते हैं उनका समय ग्रीनविच रेखा के समय से कम या पीछे होता है।

उदाहरण के लिए भारत का क्षेत्रीय समय + ५:३० जीएमटी है। तो इसका मतलब यह हुआ कि जब ग्रीन विच रेखा के पास रात के १२ बजेंगे तब यहां के सुबह के साढ़े पांच बजेंगे।

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