आजकल अधिकतर देश ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना चुके हैं। किन्तु अब भी कई देश ऐसे हैं जो प्राचीन कैलेंडरों का उपयोग करते हैं। इतिहास में कई देशों नें कैलेंडर बदले। आइए उनके विषय में एक नजर देखें:
समय | घटना |
३७६१ ई.पू. | यहूदी कैलेंडर का आरंभ |
२६३७ ई.पू. | मूल चीनी कैलेंडर आरंभ हुआ |
४५ ई.पू. | रोमन साम्राज्य के द्वारा जूलियन कैलेंडर अपनाया गया |
० | इसाई कैलेंडर का आरंभ |
७९ | हिन्दू कैलेंडर आरंभ हुआ |
५९७ | ब्रिटेन में जूलियन कैलेंडर को अपनाया गया |
६२२ | इस्लामी कैलेंडर की शुरुआत |
१५८२ | कैथोलिक देश ग्रेगोरियन कैलेंडर से परिचित हुए |
१७५२ | ब्रिटेन और उसके अमेरिका समेत सभी उपनिवेशो में ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया गया |
१८७३ | जापान नें ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया |
१९४९ | चीन नें ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया |
माया कैलेंडर
जहां पर आज मैक्सिको का यूकाटन नामक स्थान है वहां किसी जमाने में माया सभ्यता के लोग रहा करते थे। माया सभ्यता के लोग ज्ञान विज्ञान गणित आदि के क्षेत्र में काफी अग्रणी थे। स्पेनी आक्रांताओं के आने के बाद उनकी सभ्यता और संस्कृति का धीरे धीरे क्षरण होने लगा । माया कैलेंडर में २०-२० दिनों के १८ महीने होते थे और ३६५ दिन पूरा करने के लिए ५ दिन अतिरिक्त जोड़ दिए जाते थे। इन ५ दिनों को अशुभ माना जाता था।
माया कैलेंडर के महीने:
Pop(पॉप), Uo(उओ), Zip(जिप), Zotz(जॉ्ट्ज), Tzec(टीजेक), Xul(जुल), Yaxkin(याक्सकिन), Mol(मोल), Chen(चेन), Yax(याक्स), Zac(जैक), Ceh(सेह), Mac(मैक), Kankin(कान किन), Muan(मुआन), Pax(पैक्स), Kayab(कयाब), Cumbu(कुम्बू)
ग्रेगोरियन कैलेंडर
वर्तमान समय में सबसे अधिक उपयोग में आने वाला कैलेंडर ग्रेगोरियन है। इस कैलेंडर की शुरुआत पोप ग्रेगोरी तेरहवें नें सन १५८२ में की थी। इस कैलेंडर में प्रत्येक ४ वर्षों के बाद एक लीप वर्ष होता है जिसमें फरवरी माह २९ दिन का हो जाता है। आरंभ में कुछ गैर कैथोलिक देश जैसे ब्रिटेन नें ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाने से इंकार कर दिया था। ब्रिटेन में पहले जूलियन कैलेंडर का प्रयोग होता था जो कि सौर वर्ष के आधार पर चलता था। इस कैलेंडर के मुताबिक एक वर्ष ३६५.२५ दिनों का होता था(जबकि असल में यह ३६५.२४२१९ दिनों का होता है) अत: यह कैलेंडर मौसमों के साथ कदम नही मिला पाया। इस समस्या को हल करने के लिए सन १७५२ में ब्रिटेन नें ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि ३ सितम्बर १४ सितम्बर में बदल गया। इसीलिए कहा जाता है कि ब्रिटेन के इतिहास में ३ सितंबर १७५२ से १३ सितंबर १७५२ तक कुछ भी घटित नही हुआ। इससे कुछ लोगों को भ्रम हुआ कि इससे उनका जीवनकाल ११ दिन कम हो गया और वे अपने जीवन के ११ दिन वापिस देने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए।
हिब्रू और इस्लामी कैलेंडर
हिब्रू और इस्लामी कैलेंडर दोनों ही चंद्रमा की गति पर आधारित हैं। नये चंद्रमा के दिन अथवा उसके दिखाई देने के दिन से नववर्ष आरंभ होता है। लेकिन मौसम की वजह से कभी कभी चंद्रमा दिखाई नही देता अत: छपे कैलेंडरों में नव वर्ष की शुरूआत के दिनों में थोड़ा अंतर हो सकता है।
क्र० | हिब्रू महीने | दिन | इस्लामी महीने |
१ | तिशरी | ३० | मुहर्रम |
२ | हेशवान | २९ | सफ़र |
३ | किस्लेव | ३० | रबिया १ |
४ | तेवेत | २९ | रबिया २ |
५ | शेवत | ३० | जुमादा १ |
६ | अदर | २९ | जुमादा २ |
७ | निसान | ३० | रजाब |
८ | अइयर | २९ | शबान |
९ | सिवान | ३० | रमादान |
१० | तम्मूज | २९ | शव्वल |
११ | अव | ३० | धु-अल-कायदा |
१२ | एलुल | २९ | धु-अल-हिज्जाह |
भारतीय कैलेंडर
भारतीय कैलेंडर सूर्य एवं चंद्रमा की गति के आधार पर चलता है और यह शक संवत से आरंभ होता है जो कि सन ७९ के बराबर है। इसका प्रयोग धार्मिक तथा अन्य त्योहारों की तिथि निर्धारित करने के लिए किया जाता है। किन्तु आधिकारिक रूप से ग्रेगोरियन कैलेंडर का प्रयोग होता है।
क्र० | माह | दिन | ग्रेगोरियन दिनांक |
१ | चैत्र | ३० | २२ मार्च |
२ | वैशाख | ३१ | २१ अप्रैल |
३ | ज्येष्ठ | ३१ | २२ मई |
४ | आषाढ़ | ३१ | २२ जून |
५ | श्रावण | ३१ | २३ जुलाई |
६ | भ्राद्रपद | ३१ | २३ अगस्त |
७ | अश्विन | ३० | २३ सितम्बर |
८ | कार्तिक | ३० | २३ अक्टूबर |
९ | अग्रहायण | ३० | २२ नवम्बर |
१० | पूस | ३० | २२ दिसम्बर |
११ | माघ | ३० | २१ जनवरी |
१२ | फाल्गुन | ३० | २० फरवरी |
लीप वर्ष में चैत्र ३१ दिन का होता है और वह २१ मार्च को आरंभ होता है|
चीनी कैलेंडर
भारत की ही तरह चीन नें भी ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना लिया है फिर भी वहां छुट्टियां, त्योहार और नववर्ष इत्यादि चीनी कैलेंडर के अनुसार ही मनाए जाते हैं।